देख रहा है तू चुपचाप

होते हुए सब लूटपाट

क्या होता नहीं तुझे  दर्द ……………..सवाल यह उठता है मेरे मन में

दर्द से तेरा क्या है अर्थ ?……………….उठा यह सवाल मेरे स्वप्न में

फिर सोच में पड़ा रहा में थोड़ी देर

नींद खुली थ पता चला शुरू हो चुकी थी सुबह की सैर

समझ आया ……..

कवि  मैं नहीं

कविता मेरी नहीं

कविता लिख रहा वह …सवाल कर रहा वह

क्या होता है तुझे दर्द?

क्या होता है तुझे दर्द?……..