शास्त्रीय प्रबन्धन

Shastriya Prabandhan - A Bharatiya Design Thinking Approach to Education and Management

डिजिटल कुसंगति

चुनाव का समय चल रहा था, एक पढ़े लिखे व्यक्ति जो एक शिक्षक है, उनसे मिलना हुआ। हम दोनों कि विचारधारा बहुत अलग थी, लेकिन परस्पर बड़ा गरिमामय  संवाद हुआ, कुछ अनोखे अनुभव हुए ।  वो कह रहे थे कि यह… Continue Reading →

Corporate Betal or Trishanku

भारतीय संस्कृति में गृहस्थ आश्रम से वानप्रस्थ लेने के लिए कहा जाता है कि गृहस्थ में रहते हुए धीरे धीरे आसक्ति को कम करना चाहिए और फिर वैराग्य का तीव्र वेग आने पर वन गमन करना चाहिए।  गृहस्थ आश्रम जैसे… Continue Reading →

Why compulsory schooling needs rethink?

Why schooling needs rethink? 1. Approx 70% of public policy research happens on education and suggests urgent reforms.  2. Most watch Ted talk – Ken Robinson (Do schools kill creativity) 3. Books by John Taylor Gatto ( a former school… Continue Reading →

Pillars of Purposeful Life: Walk, Talk, and Walk-the-Talk

Once my students of MBA asked me about simple points to keep in mind for a good life in terms of personal well-being and professional success. In Hindi I simply said – अपना चाल चलन ठीक रखो  They asked to… Continue Reading →

Word of mouth now ‘Lands on Eyes’

Yes, you heard read it right! In marketing a very interesting approach of publicity is used – word of mouth, which in past landed in ears and then information propagated from person to person through “in-person” mode. But, now in… Continue Reading →

पुरुष अपमान से नही नारी सम्मान होगा

पुरुष अपमान से नारी सम्मान नही होगा पुरुष अनुकरण – अनुसरण से नारी सशक्ति करण नही होगा चोटी काटी टिका साफ किया, नकल किया क्या मिला शर्ट पेंट तो पुरुषों ने भी दासता में स्वीकारा था  उनको कुछ नहीं मिला, तो तुमको… Continue Reading →

Questioning the Metrics like Happiness Index Through the Shastriya Lens

Why happiness index is a joke, an analogy from Ramayan and Mahabharat! There is one book by Gita Press – दुःख में भगवद कृपा – it mentions how the worldly pain and suffering is sometimes a boon and act of… Continue Reading →

‘Presence’ is the best present!

In today’s times, the best present or gift that parents can give to their child is “presence”. When child wakes up – finds that mother is there. When child comes back from school – mother is there. When child comes… Continue Reading →

परतंत्रता की बेड़ियों पर हार-पुष्प अर्पित कर उन्ही के साथ उत्सव कब तक?

यदि स्वतंत्र होने पर भी कोई बन्दी ​परतंत्रता की बेड़ियों पर हार-पुष्प अर्पित कर उन्ही के साथ उत्सव मनाए, कारावास में दी जाने वाली यातनाओं को अपना रीति-जीवन पद्धति बना ले, तो ऐसे व्यक्ति को आप क्या कहेंगे? आप कहेंगे,… Continue Reading →

“महिला संगीत” अथवा  “मर्यादा भंग-गीत”

विवाह के कार्यक्रमों में देखने में आता होगा “महिला संगीत”  पहले यह नव विवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने, गीत के माध्यम से शिक्षा देने एवं हरि भजन के लिए होता था।  इस कार्यक्रम में अब पुरुष भी आने लगे है।… Continue Reading →

« Older posts

© 2024 शास्त्रीय प्रबन्धन — Powered by WordPress

Theme by Anders NorenUp ↑