चुनाव का समय चल रहा था, एक पढ़े लिखे व्यक्ति जो एक शिक्षक है, उनसे मिलना हुआ। हम दोनों कि विचारधारा बहुत अलग थी, लेकिन परस्पर बड़ा गरिमामय  संवाद हुआ, कुछ अनोखे अनुभव हुए । 

वो कह रहे थे कि यह शिक्षा के भारतीय करण की क्या आवश्यकता है? विदेशी ज्ञान परंपरा से भी हमको बहुत लाभ हुआ है और होता रहेगा। उनके प्रश्न पूछने का सम्बन्ध राजनैतिक दलों के घोषणा पत्र से था।  एक दल ने NEP को हटाने की बात कही थी। 

यह सुनकर, उनसे बस इस पर विचार करने का आग्रह किया —

१. Education क्या है? विद्या क्या है? शिक्षा क्या है? 
२. पोथी पढ़ पढ़, पंडित भया न कोय
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय
३. सा विद्या या विमुक्तये

और यह भी पूछा कि 4 जून 2024 को आपकी पसन्द की सरकार नहीं बनी तो आपको दुःख होगा? 

उनका उत्तर था हां, होगा। मैंने कहा बस, मतलब आपका अंतर्मन वोट दूसरे दल को वोट डालने को कह रहा है। आप NEP के विरोध में नहीं है।  

उन्होंने पूछा कैसे? ऐसा क्यों कह रहे है?

मैंने कहा, क्योंकि आपको देश से प्रेम है। आपके मन में चिंता है, आप विचार शील है। आप NEP चाहते है।आप विकास चाहते है। वोट डालना, चुनाव इत्यादि आपके लिए खेल नहीं है। 

लेकिन, बाहर से जो आप विपक्ष को वोट डालने का विचार कर रहे है, वह भयावह है, क्योंकि उनके लिए यह सब केवल खेल है।  

एक जगह से हारे तो दूसरी जगह से सत्ता में पहुँच गए।  उससे नहीं लाभ हुआ तो देश को खंडित करने चले।  कल  चुनाव का परिणाम आते ही घूमने फिरने निकल जायेंगे। वहां तो सब खेल है बिगड़े रईसो का।

आप तो देश का भला चाहते है, इसलिए आपका अंतर्मन सही दल को वोट देने का कह रहा है। 

उन्होंने कहा, यदि ऐसा है तो मेरे मन में उल्टे विचार क्यों आए?

– संगति का प्रभाव – विदेशी मीडिया की कुसंगति से ऐसा हो जाता है। क्या आपने सोशल मीडिया अथवा टीवी पर ऐसे लोगो के विचार अधिक सुन लिए क्या?

उन्होंने जोर से ठहाका लगाया और बोले, आनन्द आ गया। और बोले, अब चलता हूं वोट भारत के लिए देने।

डिजिटल कुसंगति का प्रभाव।  अपनी और अपने परिवार की रक्षा करिए