Laboratories में चूहों एवं अन्य भोले-भाले प्राणियों पर अनेक प्रकार के अप्राकृतिक परिक्षण किये जाते है, जिनका उद्देश्य मानव जाति का कल्याण (असली में विनाश) कहा जाता है।
उसी प्रकार मम्मी-डैडी (माता-पिता नहीं ) के लिए उनके बच्चे उनकी महत्वाकांक्षाओं की laboratory के subjects ही बन गए हैं।
- १.५ साल की आयु में play school
- २. ५ साल की आयु में school
- ग्रीष्म कालीन अवकाश में summer camp
- शीत कालीन अवकाश में shopping / mall
- ६ वर्ष में tuition
- १२ वर्ष में coaching class
इतना ही नहीं –
- बच्चा मिट्टी छू भी ले तो dettol से sanitize कर देते है
- मैदान में खेलने की ज़िद करें तो tv पर cartoon चालू कर देते है
- फ़िर जब बच्चे को tv की आदात पड़ जाए तो उसको चाटा मार देते है
- खुद को जब कुछ स्वार्थ सिद्ध करना हो , “ले बेटा मोबाइल से खेल”
- और फ़िर जब बच्चे को mobile की आदात पड़ जाए तो उसको पुरे समाज में बुरा बनाते है ( “हमारा बच्चा मोबाइल नहीं छोड़ता”)
- खुद mall में, शॉपिंग में, स्मार्ट फ़ोन, इत्यादि पर हज़ारो रुपये उड़ा देते है – बच्चा ५ रुपये का बैलून खरीद ले तो ज़िद्दी हो गया
हिंसक मम्मी-डैडी से वो माता-पिता बनने का प्रयास कीजिये जिनके लिए बच्चे subjects नहीं, अपितु भगवान् रुपी बगीचे के पुष्प है, जिससे आपका घर सुशोभित है।
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