॥ श्री गणेशाय नमः ॥ यत्पुण्यं सर्वयज्ञेषु दीक्षया च लभेन्नर:। तत्पुण्यं लभते सद्यो गोभ्यो दत्वा तृणानि च।। अर्थात सारे यज्ञ करने में जो पुण्य है और सारे तीर्थ नहाने का जो फल मिलता है, वह गौ माता को चारा डालने… Continue Reading →
For sometime, a post has been circulating on social media advocating not to feed statues…instead feed hungry people. Point is valid, but partially. It is essential that we feed the hungry, create opportunities for their well-being. But there is essentially… Continue Reading →
भारतीय परम्परा में साप्तहिक / पखवाड़ा / मासिक अवकाश तिथि अनुसार रखते है अथवा वार के अनुसार जो रखते है वह देश-काल-ऋतु एवं अन्य कारणों को विचार करके रखते है। कुछ गुरुकुल प्रतिपदा को अवकाश रखते है, कुछ किसी और तिथि… Continue Reading →
Laboratories में चूहों एवं अन्य भोले-भाले प्राणियों पर अनेक प्रकार के अप्राकृतिक परिक्षण किये जाते है, जिनका उद्देश्य मानव जाति का कल्याण (असली में विनाश) कहा जाता है। उसी प्रकार मम्मी-डैडी (माता-पिता नहीं ) के लिए उनके बच्चे उनकी महत्वाकांक्षाओं की… Continue Reading →
Imagine if plants start focusing only on their food (input – Carbon di-oxide) and start considering their excreta (output – oxygen) as “waste” to be disposed off in some drainage system rather than air? We human beings became so selfish and anthropocentric (following… Continue Reading →
© 2024 शास्त्रीय प्रबन्धन — Powered by WordPress
Theme by Anders Noren — Up ↑