आज कल धर्म -अधर्म के निर्णय supreme  court  के judge  लोगों पर छोड़ दिए जाते है।  चरित्र निर्माण, जीवन -मूल्य, जीवन -चर्या, ब्रह्मचर्य इत्यादि महत्वपूर्ण विषय साधारण मनुष्यों के विचारों के आधार पर नहीं हो सकते।  भारत में ऋषि-मुनियों द्वारा दृष्टा रूप में ईश्वर -वाणी के साक्षात्कार द्वारा निर्धारित किए जाते रहे है , सांसारिक आसक्त व्यक्तियों द्वारा नहीं।  राजा भी विरक्त साधू जनों की आज्ञानुसार नीति निर्धारित करते आए है।

एक दिन supreme court ने मातृ भाषा सम्बन्धित अपने दुष्ट विचार प्रकट किए थे (कि कन्नड़ में पढ़ना आवश्यक नहीं) , कल को मातृ -पिता सम्बन्धित कुछ भी कह सकते है।  हो सकता है – ले आये कि मात-पिता द्वारा बच्चो से बड़ो के चरण-स्पर्श करना अत्याचार है , माता-पिता का संस्कार देना गलत है , बच्चों को स्वतन्त्र करो…

हाल-फिलहाल में porn  नामक अभद्रता पर भी विचार किया जा रहा है, इसको वाद-विवाद का विषय का बना दिया है। कौन माता-पिता अपने कोमल हृदय वाले बालकों को इस आसुरिक कृत्य से नहीं दूर रखना चाहेगा ? क्या यह वाद-विवाद scientific proof का दास है ?

यह सब चलता रहता है, इसी कड़ी में एक व्यंग्य है –

संस्कारी बालक कल के “job ” (contract killings, loot, डकैती , capture etc) में  ठीक काम नहीं कर पाएंगे। उनको उद्दण्ड, अनियमित , असंयमित बनाना आवश्यक है।  ethics और morals अलग है आज के समय में survival of fittest से काम चलता है , समय के साथ चलने दो।  जो माता-पिता अपने बच्चो को संस्कारी बनाते है – उन्हें देश-द्रोही कहना होगा , क्यूंकि ऐसे हि अभिभवको कि वजह से हम demographic dividend का भरपूर लाभ नहीं ले पा रहे है। हमारी gdp १०% से अधिक से बढ़ सकती है यदि हम संस्कारी ना बनाये बलाको को।  अमेरिका से हमारे पास order आ रहे है contract killing  के , हमने indian institutes of crimology क्या फ़ालतू में खोले है, bachelor of organised crime / bachelor of informal crimes / bachelor of religious crime / bachelor of civil crime इत्यादि अनेक courses चालु किये है। curriculum भी अमेरिका ने बना के दिया है। वो लोग इतना प्रयास कर रहे है हमको develop करने के लिये।   जब अमेरिका को technology चाहिए थी हमे indian institute of technology खोले , उन्होंने कहा indian institute of management शुरू करो हमने वो भी किया।  तब किसी ने आपत्ति नहीं ली – तो आज क्यो अपने बच्चो को संस्कार सीखा कर उनकी future opportunities ख़त्म कर रहे हो।

supreme court सरकार को आदेश देती है (अमेरिकी सरकार के कहने पर ) की स्कूल में हर महिने “संस्कृति test” लिए जाये। यदि किसी भी विद्यार्थी को शून्य से एक नंबर भी अधिक आता है तो – उसे स्कूल से निकाल दिया जाये। हमारे राष्ट्र में देश-द्रोह अब सहन नहीं किय जावेगा।  इसके अलावा उसके माता-पिता के हाथ पर गुदवा दिया जाये – “मेरा बेटा संस्कारी है ” . . . और उसको सरकारी सुविधाएं  ना दिया जाए ।