एक समय तामसिक विचार वाले व्यक्ति जिसका नाम William Sturgeon था  उसने एक असुर पुत्र प्राप्त किया जिसका नाम रखा गया विद्युत-चुम्बकासुर (electromagnetaasur). कुछ समय बाद  Sturgeon ने  1824 में कृत्रिम विद्युत-चुम्बकासुर (artificial electromagnetaasur) को जन्म दिया।

धीरे -धीरे दोनों ने पूरी पृथिवी पर अपना आधिपत्य कर लिया। प्रजा को इस मायावी असुर के बारे में ज़्यादा ज्ञान ही नहीं था। क्यूंकि इसको प्रत्यक्ष प्रमाण ( ५ इन्द्रियों) द्वारा नहीं जाना जा सकता और मन पर भोजन के माध्यम से आधिपत्य है । अनुमान द्वारा भी इसका तत्त्व ज्ञान असम्भव है (केवल निर्विकल्पक ज्ञान – कि कोई तरंग है, इतना जाना जा सकता है किसी यन्त्र माध्यम से) ।
उपमान प्रमाण से थोड़ा प्रयास किया जा सकता है लेकिन अभी तक मैं स्वयं नहीं कर पाया ।
शब्द प्रमाण हेतु आस्था का तो साइंसासुर ने सर पर हाथ रख कर वध कर दिया था (विस्तृत पढ़े )।

अब प्रजा स्वयं भी घर-घर में इस दुष्ट को सिंहासन पर आमन्त्रित करती है (mobile, wi-fi, microwave इत्यादि )। और यदि नहीं भी करें तो यह तो सर्व-व्याप्त है ही।

एक व्यक्ति ने त्रस्त होकर भगवान से इस असुर का अन्त कैसे होगा, यह जानना चाहा। भगवान ने उत्तर दिया – यदि थोड़ी जल्दी है तो सूर्य भगवान उपासना करो और एक सौर शस्त्र (solar storm) पृथिवी / satellites इत्यादि की ओर प्रयोग करने का आग्रह करो, वरना थोड़े समय की बात है—-

एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥